‘विष्णु जी के छठे अवतार भगवान श्रीपरशुराम जी’
भगवान परशुराम जी की आरती
आरती भृगुनन्दन की कीजै, आरती भृगुनन्दन की कीजै।
परशुराम प्रभुनाथ जगत के, रेणुका मात ललन की कीजै।
आरती भृगुनन्दन की कीजै, आरती भृगुनन्दन की कीजै।
मेघ समान जटायें सिर पर, भार्गव दुःखभंजन की कीजै।
माथे सोहे तिलक मनोहर, कुन्डल भर कानन की कीजै।
गले में माला तन मृगछाला, रतिनारी आंखियन की कीजै।
धनुष वाण और फरसा धारी, हृदय बसे वेदन की कीजै।
शम्भू उपासक जन उद्ारक, धरम करम पालन की कीजै।
ब्रह्म तेज से तपे हुए हैं, परम पुरुष पूरण की कीजै।
सुख पावें जो आरती गावें, भुल्लन उर चन्दन की कीजै।
आरती भृगुनन्दन की कीजै, आरती भृगुनन्दन की कीजै।
परशुराम प्रभुनाथ जगत के, रेणुका मात ललन की ।
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